Wednesday 23 June 2021

habit जिंदा रहती है।


*Motivation मर जाती है पर Habit ज़िंदा रहती हैं:*

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अगर आप अभी भी success की तालाश में हैं और वो आपको नहीं मिल रही है तो इस post को अंत तक पढ़ें  और इसे अपनी लाइफ में implement करने की कोशिश ज़रूर करें.






दोस्तों, अक्सर हम कुछ पढ़कर , कोई video या movie देखकर बहुत energized हो जाते हैं और अपने goals achieve करने के लिए super motivated feel करने लगते हैं.  पर इसका असर कुछ समय बाद ही चला जाता है और हम वापस अपनी पुरानी routine पर लौट आते हैं और… फिर से वही ज़िन्दगी जीने लगते हैं जिसे हम हमेशा से जीते आये हैं.



यानी हमारी motivation जल्द ही मर जाती है. जब motivation मर जाती है तो जोश ठंडा पड़ जाता है… 3 दिन सुबह 5 बजे उठ कर पढ़ना वापस 8 बजे तक सोने में बदल जाता है…. जब motivation मर जाती है तो कुछ दिन तक चली 10-10 घंटे की practice वापस 3-4 घंटे पर आ कर अटक जाती है…जब motivation मर जाती है तो हम हमारे best version से वापस mediocre version पर लौट आते हैं.

और more often then not motivation मरती ही मरती है… चाहे वो हमारी हो Shiv Khera की या फिर Sandeep Maheshwari की ही क्यों न हो!  हर इंसान हमेशा highly charged up और motivated नहीं रह सकता.

लेकिन एक चीज है जो नहीं मरती…एक चीज है जो ज़िंदा रहती है… और वो है हमारी Habit हमारी आदत….

मैं कितनी भी देर से सोने क्यों न जाऊं, किसी book का एक पेज ज़रूर पढता हूँ… क्योंकि ये मेरी आदत है…मेरी माँ चाहे जितनी बिजी हों सुबह-शाम पूजा ज़रूर करती हैं…क्योंकि ये उनकी आदत है. इसी तरह आपकी भी कोई न कोई आदत होगी, जिसे करने के लिए आपको किसी मोटिवेशन की ज़रुरत नहीं पड़ती होगी…आप उसे रोज effortlessly करते होंगे…. वो आदत अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी… वो सुबह उठ कर jogging करना भी हो सकती है… और उठते ही सिगरेट पीना भी…. वो जो भी हो…. उसकी लाइफ लम्बी होती है…. मोटिवेशन मर जाती है पर हैबिट जिंदा रहती है.


स्टीव जॉब्स की आदत थी कि वे किसी भी चीज के अन्दर तक घुस जाते थे…और उसकी बारीक से बारीक चीजों को समझ कर ही दम लेते थे…details पर इतनी बारीक नज़र रखने की अपनी आदत के कारण ही वे iPod, iPhone, और iPad, जैसे एक से बढ़कर एक Apple products design कर पाए.

Sachin Tendulkar की गर्मी, जाड़ा, बरसात…. हर मौसम में घंटों प्रैक्टिस करने की आदत ने उन्हें क्रिकेट का भगवान् बना दिया!


जॉब्स को details में घुसने के लिए किसी मोटिवेशन की ज़रुरत नहीं पड़ती थी… तेंदुलकर को प्रैक्टिस करने के लिए अच्छे मूड की आवश्यकता नहीं होती थी… ये उनकी आदत थी…ये उनकी हैबिट थी और हैबिट जल्दी जाती नहीं.

HABIT word को ध्यान से देखिये-

*HABBIT*

If H goes A BIT remains. If A goes BIT remains If B goes IT still remains. यानी Habit जल्दी जाती नहीं…Habit जिंदा रहती है और अगर आप अपने सपनों को जिंदा रखना चाहते हैं और उन्हें हकीकत में तब्दील होते हुए देखना चाहते हैं तो आपको भी कुछ अच्छी आदतों का सहारा लेना चाहिए.



ये तो आपको ही सोचना होगा….लेकिन , अगर हम किसी तरह बस 2-3 अच्छी आदतें डाल लें तो हमारी life इस कदर बदल सकती है कि हम सोच भी नहीं सकते.

ज़रूर पढ़ें: कैसे डालें कोई अच्छी आदत. 4 ideas.
दोस्तों, हो सकता है कुछ लोग ये सोचें कि जैसा चल रहा है वैसा चलने दो… एक दिन सक्सेस मिल ही जायेगी तो उन्हे मैं मोटिवेशनल गुरु Tony Robbins की ये बात याद दिलाना चाहूँगा…

Tony Robbins Quotes in Hindi टोनी रॉबिन्स के अनमोल विचार

“अगर  आप वही करते हैं जो आप हमेशा से करते आये हैं तो आपको वही मिलेगा जो हमेशा से मिलता आया है।”


 
इसलिए वही करना छोडिये… कुछ नया करिए…. कोई नयी आदत डालिए and I promise you over a period of time आपकी बनायी हुई एक छोटी सी आदत आपकी लाइफ में एक बड़ा बदलाव् ला सकती है… जहाँ अपनी current set of habits के साथ आप life में थोड़ा-कुछ हासिल करते वहीँ  एक अच्छी सी आदत डाल कर आप बहुत कुछ हासिल कर पायेंगे.

इसलिए सोचिये वो कौन सी एक आदत हो सकती है जो आपके लक्ष्य को पाने में आपकी मदद करे… क्या वो सुबह जल्दी उठाना है…. या रोज दो घंटे Maths की प्रैक्टिस करना है….या कुछ और…क्या है वो एक आदत जो आपको अपनी मंजिल तक पहुंचा सकती है…. और एक बार उस आदत के बारे में decide कर लिया…. तो उसे डालने के पीछे जी-जान लगा दीजिये… ये आसान नहीं होगा… जैसे आदत जल्दी जाती नहीं वैसे जल्दी आती भी नहीं… आप बार-बार फेल होंगे… लगेगा मेरे लिए ये पॉसिबल नहीं है… लेकिन हार मत मानियेगा….

क्योंकि एक idea आपकी ज़िन्दगी बदल पाए ना पाए…एक हैबिट आपकी लाइफ ज़रूर बदल सकती है…

इसलिए याद रखियेगा मेरी बात…. मोटिवेशन मर जाती है पर हैबिट जिंदा रहती है!

Thanks!

Tuesday 15 June 2021

स्तन कैंसर का एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट.

   स्तन कैंसर का एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट.

  Acupressure treatment of Breast Cancer.

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परिचय-

स्तन कैंसर स्त्रियों का एक बहुत ही ज्यादा कष्टदायक रोग होता है। इस रोग के कारण स्त्री के स्तनों में बहुत तेज दर्द होता है तथा स्तनों से पीब निकलने लगती है।

लक्षण-


        इस रोग के हो जाने पर स्तन सख्त तथा अनियमित आकार की गांठ के रूप में हो जाते हैं जिन्हें छूने पर बहुत तेज दर्द होने लगता है। इस प्रकार की गांठ स्तनों के किसी भी भाग में उभर आती है। जब इस रोग की शुरुआत होती है तो ये गांठ इधर-उधर सरकती भी रहती हैं।


        जब स्तनों में होने वाली गांठ बड़ी हो जाती है तो यह अपने ऊपर की त्वचा को अन्दर की ओर खींच लेती है जिसके कारण स्तन के अन्दर की ओर एक गड्ढा जैसा बन जाता है। यह गड्ढा दूध का संचार करने वाली नलिकाओं को प्रभावित करता है जिसके कारण यह सिकुड़ जाती हैं और निपल पिचक जाते हैं। जैसे-जैसे गांठ बड़ी होती जाती है वैसे-वैसे ही स्तन की ऊपर की त्वचा से भी चिपक जाती है जिसके कारण स्तन की त्वचा में जलन होने लगती है। कुछ दिनों में इस गांठ के अन्दर पीब बनने लगती है। जब स्त्री के निप्पलों को दबाते हैं तो उसमें से पीब के समान दूध निकलने लगता है। यह गांठ बढ़ते-बढ़ते स्त्रियों के बगलों में पाई जाने वाली लसीका ग्रन्थियों तक भी फैल सकती है। जब इस रोग की शुरुआत होती है तो उस समय इसका उपचार करना बहुत जरूरी हो जाता है यदि इस रोग को बढ़ने से न रोका जाए तो यह रोग पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है।


कारण-


        जब स्तन में गांठ बन जाती है तो सबसे पहले यह पता लगाना चाहिए कि गांठ ज्यादा खतरनाक तो नहीं है। स्तन कैंसर होने की आशंका काफी हद तक वातावरण और जीवनशैली पर निर्भर करती है। स्त्रियों को यह रोग भोजन की एलर्जी के कारण भी हो सकता है। इस रोग के होने में आनुवंशिकता भी एक मुख्य भूमिका अदा करती है। यह रोग एक स्त्री से दूसरी स्त्री को भी हो सकता है। स्त्रियों के स्तन में कैंसर रोग के लिए गर्भनिरोधक गोलियों और जीवन परिवर्तन लक्षणों के उपचार के लिए दी जाने वाली HRT को जिम्मेदार माना जाता है। कोई स्त्री जितनी जल्दी मां बन जाती है उसको स्तन कैंसर होने की आशंका लगभग उतनी ही कम होती है।


एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा स्त्रियों के स्तन कैंसर का उपचार-


        जब किसी स्त्री के स्तन में गांठ सी बनी हुई दिखाई देती है तो तुरंत ही जांच करानी चाहिए कि यह गांठ ज्यादा खतरनाक तो नहीं है। यदि गांठ ज्यादा खतरनाक हो तो भी इसका इलाज किया जा सकता है। यह रोग एक बार ठीक होकर दुबारा भी हो सकता है इसलिए इस रोग का इलाज सही तरीके से कराना चाहिए। स्तन कैंसर का उपचार कराने के लिए सबसे पहले स्त्रियों को अपने स्तनों की जांच करानी चाहिए।



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     स्त्रियों के स्तनों की जांच जब माहवारी आये, उसके बाद करनी चाहिए। यह जांच हर महीने तथा एक विशेष समय में करनी चाहिए। यदि स्त्रियों को अपने स्तन में भारीपन महसूस होता हो तो चिन्ता न करें। स्त्रियों को यह पता लगाना चाहिए कि उसके दोनों स्तन एक ही समान है। यदि जांच कराते दौरान स्त्री को लगे कि उसका एक स्तन भारी है तो स्त्री को दूसरे स्तनों पर भी हाथ फेरकर देखना चाहिए कि कहीं दूसरा स्तन भी तो भारी नहीं है। यदि दोनों स्तनों में कुछ असमानता नजर आती है तो घबराएं नहीं। स्तन कैंसर के रोगी को डॉक्टर से उचित सलाह लेनी चाहिए और बिल्कुल लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए क्योंकि यह रोग बढ़कर अधिक खतरनाक बन सकता है।


स्तनों की निम्नलिखित तरीकों द्वारा जांच की जा सकती है-


        स्त्रियों को अपनी स्तनों की जांच करने के लिए सबसे पहले आईने के सामने खड़े हो जाना चाहिए और अपने दोनों हाथों को बगल में लटका लेना चाहिए और देखना चाहिए कि दोनों स्तन दिखने में असामान्य तो नहीं है, स्तनों में डिम्पल या सिकुड़न आदि तो नहीं है या फिर स्तनों की त्वचा या बनावट में कोई फर्क तो नहीं है।


        आईने के सामने खड़े होकर स्त्रियों को अपने हाथ सिर के ऊपर रख लेने चाहिए और अपने आप को अलग-अलग कोणों में देखना चाहिए कि स्तनों में कोई विशेष परिवर्तन तो नहीं हो गया है तथा फिर दायें-बायें घूमकर देखना चाहिए और पता लगाना चाहिए कि दोनों स्तनों से कोई स्राव तो नहीं हो रहा है।


        स्तनों की जांच करते दौरान यह पता लगाना चाहिए कि निप्पल के चारों ओर के क्षेत्र में कहीं गांठ तो नहीं है।


        आईने के सामने खड़े होकर अपने हाथ को ऊपर-नीचे करके देखना चाहिए कि स्तन का कोई भाग सूज तो नहीं रहा है।


        स्त्रियों को पलंग पर लेटकर एक तकिया सिर के नीचे रख लेना चाहिए। फिर एक तकिया बाएं कंधे के नीचे रख लेना चाहिए। इसके बाद अपने बाएं हाथ को सिर के नीचे की ओर रख लेना चाहिए और दाहिने हाथ से बाएं स्तन को दबाकर जांच करनी चाहिए कि कहीं उनमें गांठ या सूजन तो नहीं है।


        स्त्रियों को अपने बगल में हाथ फिराकर गांठे पकड़ने की कोशिश करनी चाहिए। फिर यही क्रिया दोनों स्तनों पर करनी चाहिए। इस क्रिया में बाएं हाथ का प्रयोग करना चाहिए।


एक्यूप्रेशर चिकित्सा-






        चित्र में दिए गए एक्यूप्रेशर बिन्दु के अनुसार रोगी के शरीर पर दबाव देकर स्त्रियों के स्तन कैंसर का उपचार किया जा सकता है। रोगी स्त्री को अपना इलाज किसी अच्छे एक्यूप्रेशर चिकित्सक की देख-रेख में करना चाहिए क्योंकि एक्यूप्रेशर चिकित्सक को सही दबाव देने का अनुभव होता है और वह सही तरीके से स्त्रियों के स्तन कैंसर का उपचार कर सकता है।


        जब स्त्रियों के स्तन में गांठ बन जाती है तो स्त्रियों के स्तन के निप्पल के आस-पास सीबेशस ग्रन्थि अर्थात दुग्ध नलिका में द्रव्य के समान थैली बन जाती है। इस थैली को स्तन की गांठ कहते हैं। जब स्त्रियों की सीबेशस ग्रन्थि में जाने वाली कोई वाहिका अवरूद्ध हो जाती है तो उनके स्तन में गांठ सी बन जाती है। इन गांठों के कारण स्तन में थक्का या उभार हो जाता है।


उपचार-


        अगर किसी स्त्री के स्तन में गांठ बन जाती है तो उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर की उचित सलाह के अनुसार अपना उपचार कराना चाहिए। हो सकता है कि कभी स्तन के अन्दर से सुईयों के द्वारा थैली के अन्दर के अवरूद्ध द्रव्य को बाहर खींचने की जरूरत पड़ जाए। ऐसा करने से यह पता चल जाता है कि गांठ ज्यादा हानिकारक तो नहीं है।


(प्रतिबिम्ब बिन्दु पर दबाव डालकर एक्यूप्रेशर चिकित्सा द्वारा इलाज करने का चित्र)





        चित्रों के अनुसार एक्यूप्रेशर बिन्दु पर दबाव देने से स्तन की गांठ जल्दी ठीक हो जाती है। स्त्रियों को अपने स्तन की गांठ का उपचार करने के लिए किसी अच्छे एक्यूप्रेशर चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए क्योंकि एक्यूप्रेशर चिकित्सक को सही तरह से दबाव देने का अनुभव होता है और वह इस रोग का उपचार सही तरीके से कर सकता है।


Breast Cancer


 introduction-


 Breast cancer is a very painful disease of women.  Due to this disease, there is a lot of pain in the breasts of the woman and pus starts coming out of the breasts.


 symptoms-


 Due to this disease, the breasts become in the form of hard and irregular shaped lumps, which feel very painful on touching.  This type of lump emerges in any part of the breast.  When this disease starts, these lumps keep moving here and there.


 When the lump in the breast becomes large, it pulls the skin above it inwards, due to which a pit is formed on the inside of the breast.  This pit affects the ducts that carry milk, due to which they shrink and the nipples become pinched.  As the lump gets bigger, it also sticks to the skin above the breast, due to which the skin of the breast starts burning.  Within a few days, pus begins to form inside this lump.  When a woman's nipples are pressed, milk starts coming out of it like pus.  This lump can also spread to the lymph glands found in the armpits of the growing women.  When this disease starts, it becomes very important to treat it at that time, if this disease is not stopped from progressing, then this disease can affect the whole body.


 cause-


 When a lump is formed in the breast, first of all it should be found out whether the lump is not very dangerous.  The risk of developing breast cancer largely depends on the environment and lifestyle.  In women, this disease can also be due to food allergies.  Heredity also plays a major role in the occurrence of this disease.  This disease can also be passed from one woman to another.  Contraceptive pills for breast cancer and HRT given to treat life-changing symptoms are believed to be responsible.  The sooner a woman becomes a mother, the less likely she is to get breast cancer.


 Treatment of breast cancer in women by acupressure therapy-


 When a lump is seen in the breast of a woman, then it should be checked immediately that this lump is not very dangerous.  Even if the lump is more dangerous, it can be treated.  This disease can be cured once and it can happen again, so this disease should be treated properly.  Before getting treated for breast cancer, women should first get their breasts examined.


 The breasts of women should be examined after menstruation comes.  This check should be done every month and at a specific time.  Don't worry if women feel heaviness in their breasts.  Women should find out that both her breasts are the same.  If a woman feels that one of her breasts is heavy during the test, then the woman should also look at the other breasts to see if the other breast is also heavy.  If there is some disparity in both the breasts then do not panic.  The patient of breast cancer should take proper advice from the doctor and should not be careless at all as this disease can grow and become more dangerous.


 Breasts can be examined by the following methods-


 To examine their breasts, women should first stand in front of the mirror and hang both their hands on the side and see if both the breasts are abnormal in appearance, there is no dimple or shrinkage in the breasts etc.  Or there is no difference in the skin or texture of the breasts.


 Standing in front of the mirror, women should put their hands above the head and look at themselves from different angles to see if there is any significant change in the breasts and then turn left and right and see if  There is no discharge from both the breasts.


 While examining the breasts, it should be found that there is no lump in the area around the nipple.


 Standing in front of the mirror, move your hand up and down to see if any part of the breast is swollen.


 Ladies should lie on the bed and keep a pillow under the head.  Then a pillow should be placed under the left shoulder.  After this, your left hand should be placed under the head and by pressing the left breast with the right hand, check if there is any lump or swelling in them.


 Women should try to hold the knots by moving their hands next to them.  Then the same action should be done on both the breasts.  The left hand should be used in this action.


 acupressure therapy-



 According to the acupressure point given in the picture, the treatment of breast cancer in women can be done by applying pressure on the patient's body.  A patient woman should do her treatment under the supervision of a good acupressure doctor because acupressure therapist has experience in giving right pressure and can treat breast cancer in women in the right way.


 When a lump is formed in the breast of women, then a sac is formed around the nipple of the woman's breast, that is, a fluid-like sac is formed in the milk duct.  This sac is called breast lump.  When a vessel going to the sebaceous gland of women gets blocked, then a lump is formed in their breast.  These lumps cause a clot or bulge in the breast.


 the treatment-


 If a woman has a lump in her breast, then she should immediately go to the doctor and get her treatment done according to the proper advice of the doctor.  There may be a need to pull out the blocked fluid inside the sac with needles from inside the breast.  By doing this it is known that the lump is not very harmful.


 (Picture of acupressure therapy by applying pressure to the reflex point)


 According to the pictures, by applying pressure on the acupressure point, breast lump gets cured quickly.  Women should consult a good acupressure doctor to treat their breast lump because acupressure therapist has experience in applying pressure properly and can treat this disease properly.



 







Monday 14 June 2021

उच्च रक्तचाप के लक्षण व उपचार

*उच्च रक्तचाप के लक्षण व उपचार*
*Treatment and symptoms of high blood pressure*
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*रक्त चाप बढने से तेज सिर दर्द,थकावट,टांगों में दर्द ,उल्टी होने की शिकायत और चिडचिडापन होने के लक्छण मालूम पडते हैं। यह रोग जीवन शैली और खान-पान की आदतों से जुडा होने के कारण केवल दवाओं से इस रोग को समूल नष्ट करना संभव नहीं है। जीवन चर्या एवं खान-पान में अपेक्षित बदलाव कर इस रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया सकता है।*
हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारण--
१) मोटापा
२) तनाव(टेंशन)
३) महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन
४) ज्यादा नमक उपयोग करना
अब यहां ऐसे सरल घरेलू उपचारों की चर्चा की जायेगी जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने से बिना गोली केप्सुल लिये इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है-
१) सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को नमक का प्रयोग बिल्कुल कम कर देना चाहिये। नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है।

२) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है।
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लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू वस्तु है।यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।

३)एक बडा चम्मच आंवला का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।

४) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गरम पानी में काली मिर्च पावडर एक चम्मच घोलकर २-२ घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही मुकाम पर लाने का बढिया उपचार है।

५) तरबूज का मगज और पोस्त दाना दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी से लें।३-४ हफ़्ते तक या जरूरत मुताबिक लेते रहें।

६) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा निंबू निचोडकर २-२ घंटे के अंतर से पीते रहें। हितकारी उपचार है।

७) तुलसी की १० पती और नीम की ३ पत्ती पानी के साथ खाली पेट ७ दिवस तक लें।

८) पपीता आधा किलो रोज सुबह खाली पेट खावें। बाद में २ घंटे तक कुछ न खावें। एक माह तक प्रयोग से बहुत लाभ होगा।

९) नंगे पैर हरी घास पर १५-२० मिनिट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।

१०) सौंफ़,जीरा,शकर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पावडर बनालें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।

११) उबले हुए आलू खाना रक्त चाप घटाने का श्रेष्ठ उपाय है।आलू में सोडियम(नमक) नही होता है।
पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें। अन्य सब्जीयों के रस भी लाभदायक होते हैं।

१३) नमक दिन भर में ३ ग्राम से ज्यादा न लें।

१४) अण्डा और मांस ब्लड प्रेशर बढाने वाली चीजें हैं। ब्लड प्रेशर रोगी के लिये वर्जित हैं।

१५) करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।

१६) केला,अमरूद,सेवफ़ल ब्लड प्रेशर रोग को दूर करने में सहायक कुदरती पदार्थ हैं।

१७) मिठाई और चाकलेट का सेवन बंद कर दें।

१८)सूखे मेवे :--जैसे बादाम काजू, आदि उच्च रक्त चाप रोगी के लिये लाभकारी पदार्थ हैं।

१९)चावल:-(भूरा) उपयोग में लावें। इसमें नमक ,कोलेस्टरोल,और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है। इसमें पाये जाने वाले केल्शियम से नाडी मंडल की भी सुरक्षा हो जाती है।

२०)अदरक:-प्याज और लहसून की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैलसियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।

२०)लालमिर्च:-धमनियों के सख्त होने के कारण या उनमे प्लेक जमा होने की वजह से रक्त वाहिकाएं और नसें संकरी हो जाती हैं जिससे कि रक्त प्रवाह में रुकावटें पैदा होती हैं। लेकिन लाल मिर्च से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं, फलस्वरूप रक्त प्रवाह सहज हो जाता है और रक्तचाप नीचे आ जाता है।


High blood pressure symptoms and treatment
 Symptoms of increased blood pressure include severe headache, fatigue, pain in the legs, complaints of vomiting and irritability.  Due to this disease being associated with lifestyle and eating habits, it is not possible to completely destroy this disease with medicines alone.  This disease can be completely controlled by making necessary changes in lifestyle and eating habits.
 Main causes of high blood pressure
 1) obesity
 2) Tension
 3) Hormone changes in women
 4) Using more salt
 Now here such simple home remedies will be discussed, with careful use, complete control of this dreaded disease can be found without taking pill capsules-

 1) The most important thing is that the patient should completely reduce the use of salt.  Salt is a major factor in increasing blood pressure.

 2) One of the main causes of high blood pressure is thickening of the blood.  As the blood thickens, its flow slows down.  This increases the pressure in the arteries and veins.

 Garlic is a very helpful household item in curing blood pressure. It does not allow blood to clot.  Beneficial in arterial stiffness.  Resolves the condition of having high cholesterol in the blood.

 3) Mixing one tablespoon of amla juice and the same amount of honey, taking it twice a day is beneficial in high blood pressure.

 4) When the blood pressure is increased, dissolve one teaspoon of black pepper powder in half a glass of warm water and drink it with an interval of 2 to 2 hours.  It is a great treatment to bring blood pressure to the right level.

 5) Take equal quantity of both watermelon and poppy seeds and mix them together.  Take one teaspoon in the morning and evening on an empty stomach with water. Keep taking it for 3-4 weeks or as needed.

 6) To control the increased blood pressure quickly, squeeze half a lemon in half a glass of water and drink it with an interval of 2–2 hours.  Beneficial treatment.

 7) Take 10 leaves of basil and 3 leaves of neem with water on an empty stomach for 7 days.

 8) Eat half a kilo of papaya every morning on an empty stomach.  Afterwards do not eat anything for 2 hours.  Using it for a month will be of great benefit.

 9) Walk barefoot on green grass for 15-20 minutes.  By walking daily, the blood pressure becomes normal.

 10) Make powder by taking fennel, cumin, sugar in equal quantity.  Dissolve a spoonful of the mixture in a glass of water and drink it in the morning and evening.

 11) Eating boiled potatoes is the best way to reduce blood pressure. Potato does not contain sodium (salt).
 Drink a glass of juice mixed with spinach and carrot juice in the morning and evening.  Juices of other vegetables are also beneficial.

 13) Do not take more than 3 grams of salt in a day.

 14) Eggs and meat are things that increase blood pressure.  Blood pressure is prohibited for the patient.

 15) Bitter gourd and drumstick pods are extremely beneficial for high blood pressure patients.

 16) Banana, guava, apple are natural substances helpful in removing blood pressure disease.

 17) Stop consuming sweets and chocolates.

 18) Dried fruits: - Like almond, cashew, etc. are beneficial substances for high blood pressure patient.

 19) Rice :- (Brown) Use.  It contains only a small amount of salt, cholesterol, and fat.  It is a very beneficial food for high blood pressure patient.  The calcium found in it also protects the nervous system.

 20) Ginger: Like onion and garlic, ginger is also very beneficial.  Bad cholesterol builds up plaque on the walls of the arteries, which leads to blockage of blood flow and results in high blood pressure.  Ginger contains very powerful antioxidants which are very effective in bringing down bad cholesterol.  Ginger also improves your blood circulation, relaxes the muscles around the arteries, thereby reducing high blood pressure.

 20) Cayenne pepper: - Due to hardening of the arteries or due to the accumulation of plaque in them, the blood vessels and veins become narrow, causing blockages in blood flow.  But red chillies dilate the veins and blood vessels, as a result, the blood flow becomes smooth and the blood pressure comes down.

Saturday 12 June 2021

Irritable Bowel Syndrome (IBS) एक्यूप्रेशर पॉइंट्स

Irritable Bowel Syndrome (IBS) 

असामान्य संवेदनशील आंत संलक्षण

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अक्सर पेट में ऐंठन, डायरिया एवं गैस से पेट का फूल जाना irritable bowel syndrome कहलाता है। It is also called spastic colon or irritable colon. मनोवैज्ञानिक एवं अन्य प्रकार के निम्नलिखित संलक्षण (syndromes) होने पर उसे irritable bowel syndrome कहते हैं।


Main Symptoms मुख्य लक्षण:


Intermittent abdominal cramps ठहर ठहर कर पेट में बांयटे आना 

Spell of diarrhoea of constipation कुछ दिन डायरिया तथा कुछ दिन कब्ज हो जाना। 

Bloating आमाशय में वायु भर जाना

Excessive mucus in bowel movement but there is no blood in the stool. After a bowel movement there is a feeling that the rectum is not fully emptied.

Abdominal pain can range from mild to intense. It may temporarily subside after having a bowel movement or passing wind.

Nausea, dizziness & fainting may occur in severe case

तीव्र रोग में मिचली, चक्कर एवं बेहोशी तक आ सकती है।


Causes of irritable bowel syndrome:


1) Disturbance in the function of the nerves or muscle in the gastrointestinal

system may cause irritable bowel syndrome.

 2) Abnormal processing of gastro intestinal sensation by the


Diagnosis of irritable bowel syndrome:


There is no test for irritable bowel syndrome


There are a specific set of criteria to identify irritable bowel syndrome.


1) There must be abdominal pain or discomfort.


ii) The pain or discomfort is relieved with bowel movement.


iii) निम्नलिखित में से अगर तीन लक्षण रोगी को हैं तो इससे पता चलता है कि उसको irritable bowel syndrome हुआ है।


a) Altered bowel movement frequency. शौच को बारम्बारता में परिवर्तन होते रहना


b) A change in bowel movement forms (hard or loose and watery). मल के प्रकार में परिवर्तन होते रहना (कड़ा या ढीला और पानी जैसा ।।


C) Altered passage of bowel movement.


शौच के निकलने में परिवर्तन होते रहना।

 Straining मल त्यागते समय कांखना

 urgency मल त्यागने की जल्दी

Or feeling of incomplete evacuation

ऐसा लगना कि पूरा मल नहीं निकला है।


d) Passage of mucus and or bloating. मल के साथ श्लेष्मा निकलना या पेट में गैस भर जाना


e) Sensation of having a distended abdomen. पेट फूला लगने की अनुभूति होते रहना


Precautions सावधानियों:


1) Certain foods or drinks trigger the irritable bowel syndrome. Avoid them


2) Common triggers are:


Caffeine


Sorbitol containing gums & beverages Flatulence producing vegetables such as:


Beans Cabbage


Broccoli


Dairy products Alcohol


Raw fruits


Fatty foods


Adding fibre to increase the stool's bulk and speed, may help relieve constipation and abdominal pain.


Fibre should be introduced gradually because it can aggrevate symptoms before starting to relieve them. Hence, gradually rease the fibre rich foods in your diet.


4) Ginger (अदरक) & peppermint oil  are widely used in India to ease gastrointestinal discomfort.


Treatment:


Li 4, 9, St 25, 36, Sp 9, CV 6, 12, UB 23

मधुमेह के घरेलू उपचार

मधुमेह के घरेलू उपचार 

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बदलता परिवेश और रहन-सहन शहर में मधुमेह के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा कर रहा है। खान-पान पर नियंत्रण न होना भी इसके लिए जिम्मेदार है। डायबिटीज के मरीज को सिरदर्द, थकान जैसी समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं। मधुमेह में खून में शुगर की मात्रा बढ जाती है। वैसे इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। परंतु जीवनशैली में बदलाव, शिक्षा तथा खान-पान की आदतों में सुधार द्वारा रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।


मधुमेह लक्षण :


1. बार-बार पेशाब आना।

2. बहुत ज्यादा प्यास लगना।

3. बहुत पानी पीने के बाद भी गला सूखना।

4. खाना खाने के बाद भी बहुत भूख लगना।

5. मितली होना और कभी-कभी उल्टी होना।

6. हाथ-पैर में अकड़न और शरीर में झंझनाहट होना।

7. हर समय कमजोरी और थकान की शिकायत होना।

8. आंखों से धुंधलापन होना।

9. त्वचा या मूत्रमार्ग में संक्रमण।

10. त्वचा में रूखापन आना।

11. चिड़चिड़ापन।

12. सिरदर्द।

13. शरीर का तापमान कम होना।

14. मांसपेशियों में दर्द।

15. वजन में कमी होना।


यहाँ मधुमेह को नियंत्रण करने के हम कुछ आसन से घरेलू उपाय बता रहे है :-


*तुलसी के पत्तों में ऐन्टीआक्सिडन्ट और ज़रूरी तेल होते हैं जो इनसुलिन के लिये सहायक होते है । इसलिए शुगर लेवल को कम करने के लिए दो से तीन तुलसी के पत्ते को प्रतिदिन खाली पेट लें, या एक टेबलस्पून तुलसी के पत्ते का जूस लें।


*10 मिग्रा आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी के पावडर में मिला लीजिए। इस घोल को दिन में दो बार लीजिए। इससे खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।


*काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है। मधुमेह के रोगियों को काले नमक के साथ जामुन खाना चाहिए। इससे खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।


*लगभग एक महीने के लिए अपने रोज़ के आहार में एक ग्राम दालचीनी का इस्तेमाल करें, इससे ब्लड शुगर लेवल को कम करने के साथ वजन को भी नियंत्रण करने में मदद मिलेगी।


*करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका कड़वा रस शुगर की मात्रा कम करता है।अत: इसका रस रोज पीना चाहिए। उबले करेले के पानी से मधुमेह को शीघ्र स्थाई रूप से समाप्त किया जा सकता है।


*मधुमेह के उपचार के लिए मैथीदाने का बहुत महत्व है, इससे पुराना मधुमेह भी ठीक हो जाता है। मैथीदानों का चूर्ण नित्य प्रातः खाली पेट दो टी-स्पून पानी के साथ लेना चाहिए ।


*काँच या चीनी मिट्टी के बर्तन में 5-6 भिंडियाँ काटकर रात को गला दीजिए, सुबह इस पानी को छानकर पी लीजिए।


*मधुमेह मरीजो को नियमित रूप से दो चम्मच नीम और चार चम्मच केले के पत्ते के रस को मिलाकर पीना चाहिए।


*ग्रीन टी भी मधुमेह मे बहुत फायदेमंद मानी । जाती है ग्रीन टी में पॉलीफिनोल्स होते हैं जो एक मज़बूत एंटी-ऑक्सीडेंट और हाइपो-ग्लाइसेमिक तत्व हैं, शरीर इन्सुलिन का सही तरह से इस्तेमाल कर पाता है।


*सहजन के पत्तों में दूध की तुलना में चार गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। मधुमेह में इन पत्तों के सेवन से भोजन के पाचन और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है। इसके नियमित सेवन से भी लाभ प्राप्त होता है ।


*एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला को मिलाकर जूस निकाल लीजिए। इस जूस को हर रोज सुबह-सुबह खाली पेट लीजिए। इससे डायबिटीज में बहुत फायदा होता है।


*गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों से रस निकालकर प्रतिदिन सेवन करने से भी मुधमेह नियंत्रण में रहता है।


*मधुमेह के मरीजों को भूख से थोड़ा कम तथा हल्का भोजन लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में खीरा नींबू निचोड़कर खाकर भूख मिटाना चाहिए।


*मधुमेह उपचार मे शलजम का भी बहुत महत्व है । शलजम के प्रयोग से भी रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम होने लगती है। इसके अतिरिक्त मधुमेह के रोगी को तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का प्रयोग भी ज्यादा करना चाहिए।


*6 बेल पत्र , 6 नीम के पत्ते, 6 तुलसी के पत्ते, 6 बैगनबेलिया के हरे पत्ते, 3 साबुत काली मिर्च ताज़ी पत्तियाँ पीसकर खाली पेट, पानी के साथ लें और सेवन के बाद कम से कम आधा घंटा और कुछ न खाएं , इसके नियमित सेवन से भी शुगर सामान्य हो जाती है ।

Friday 11 June 2021

भारत की प्राचीन चमत्कारी रसायन विद्या

भारत की प्राचीन चमत्कारी रसायन विद्या । 
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इस लेख में भारत के प्राचीन रसायन शास्त्र के विषय में कुछ तथ्य रखे जा रहे हैं जिससे आज के युवाओं को यह पता चल सके की भारत के प्राचीन विज्ञान में रसायन शास्त्र की क्या भूमिका थी |
भूमिका:

आज भारत में कई लोग यह कहते पाए जाते हैं की प्राचीन भारत में भारतियों के पास विज्ञान का कोई ज्ञान नहीं था, भारतीय सिर्फ पूजा-पाठ और ढोंग-आडम्बरों में फंसे रहते थे एवं उन्हें विज्ञान की कोई समझ नहीं थी | कई लोग यहाँ तक कह देते हैं की भारत में विज्ञान का ज्ञान अंग्रेजों के आने से आया उसके पहले इन्हें कोई ज्ञान नहीं था | कई तथाकथित अंग्रेजी पड़े लिखे बुद्धिजीवियों का यह भी मानना है की भारतीय शास्त्रों और पुस्तकों में सिर्फ पूजा पाठ की विधियाँ और पौराणिक दन्त कथाएं हैं जो किसी काम की नहीं हैं | इन्ही सब बातो को सुनने के बाद मैंने खोजना शुरू किया की भारत में सच में कोई विज्ञान था या नहीं तब गहराई से खोजने पर भारत के प्राचीन विज्ञान की कई अद्भुत जानकारियाँ एक के बाद एक मिलती चली गयीं | वैसे तो भारत में नौका विज्ञान, वस्त्र विज्ञान, विमान शास्त्र, इत्यादि कई तरह के विज्ञान की जानकारी एवं पुस्तकें मौजूद हैं पर इस लेख में भारत के प्राचीन रसायन शास्त्र के विषय में कुछ तथ्य रखे जा रहे हैं जिससे आज के युवाओं को यह पता चल सके की भारत के प्राचीन विज्ञान में रसायन शास्त्र की क्या भूमिका थी |

भारत में रसायन शास्त्र की अति प्राचीन परंपरा रही है। पुरातन ग्रंथों में धातुओं, अयस्कों, उनकी खदानों, यौगिकों तथा मिश्र धातुओं की अद्भुत जानकारी उपलब्ध है। इन्हीं में रासायनिक क्रियाओं में प्रयुक्त होने वाले सैकड़ों उपकरणों के भी विवरण मिलते हैं। रसायन शास्त्र जिसे हम आज की भाषा में ‘केमिस्ट्री’ कहते हैं, इसका ज्ञान प्राचीन काल से भारत में पाया जाता है | पूर्व काल में अनेक रसायनज्ञ हुए, उनमें से कुछ की कृतियों निम्नानुसार हैं :-

नागार्जुन-रसरत्नाकर ,कक्षपुटतंत्र, आरोग्य मंजरी, योग सार, योगाष्टक
वाग्भट्ट – रसरत्न समुच्चय
गोविंदाचार्य – रसार्णव
यशोधर – रस प्रकाश सुधाकर
रामचन्द्र – रसेन्द्र चिंतामणि
सोमदेव- रसेन्द्र चूड़ामणि
रस रत्न समुच्चय ग्रंथ में मुख्य रस माने गए निम्न रसायनों का उल्लेख किया गया है-

(१) महारस (२) उपरस (३) सामान्यरस (४) रत्न (५) धातु (६) विष (७) क्षार (८) अम्ल (९) लवण (१०) लौहभस्म।

इसी प्रकार १० से अधिक विषों का वर्णन भारतीय रसायन शास्त्र में किया गया है |

प्राचीन समय में प्रयोगशाला का अस्तित्व:

‘रस-रत्न-समुच्चय‘ अध्याय ७ में रसशाला यानी प्रयोगशाला का विस्तार से वर्णन भी है। इसमें ३२ से अधिक यंत्रों का उपयोग किया जाता था, जिनमें मुख्य हैं-

(१) दोल यंत्र (२) स्वेदनी यंत्र (३) पाटन यंत्र (४) अधस्पदन यंत्र (५) ढेकी यंत्र (६) बालुक यंत्र (७) तिर्यक्‌ पाटन यंत्र (८) विद्याधर यंत्र (९) धूप यंत्र (१०) कोष्ठि यंत्र (११) कच्छप यंत्र (१२) डमरू यंत्र।

किसी भी देश में किसी ज्ञान विशेष की परंपरा के उद्भव और विकास के अध्ययन के लिए विद्वानों को तीन प्रकार के प्रमाणों पर निर्भर करना पड़ता है

प्रयोगशाला में नागार्जुन ने पारे पर बहुत प्रयोग किए। विस्तार से उन्होंने पारे को शुद्ध करना और उसके औषधीय प्रयोग की विधियां बताई हैं। अपने ग्रंथों में नागार्जुन ने विभिन्न धातुओं का मिश्रण तैयार करने, पारा तथा अन्य धातुओं का शोधन करने, महारसों का शोधन तथा विभिन्न धातुओं को स्वर्ण या रजत में परिवर्तित करने की विधि दी है। पारे के प्रयोग से न केवल धातु परिवर्तन किया जाता था अपितु शरीर को निरोगी बनाने और दीर्घायुष्य के लिए उसका प्रयोग होता था। भारत में पारद आश्रित रसविद्या अपने पूर्ण विकसित रूप में स्त्री-पुरुष प्रतीकवाद से जुड़ी है। पारे को शिव तत्व तथा गन्धक को पार्वती तत्व माना गया और इन दोनों के हिंगुल के साथ जुड़ने पर जो द्रव्य उत्पन्न हुआ, उसे रससिन्दूर कहा गया, जो आयुष्य-वर्धक सार के रूप में माना गया।

इन ग्रंथों से यह भी ज्ञात होता है कि रस-शास्त्री धातुओं और खनिजों के हानिकारक गुणों को दूर कर, उनका आन्तरिक उपयोग करने हेतु तथा उन्हें पूर्णत: योग्य बनाने हेतु विविध शुद्धिकरण की प्रक्रियाएं करते थे। उसमें पारे को अठारह संस्कार यानी शुद्धिकरण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। इन प्रक्रियाओं में औषधि गुणयुक्त वनस्पतियों के रस और काषाय के साथ पारे का घर्षण करना और गन्धक, अभ्रक तथा कुछ क्षार पदार्थों के साथ पारे का संयोजन करना प्रमुख है। रसवादी यह मानते हैं कि क्रमश: सत्रह शुद्धिकरण प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पारे में रूपान्तरण (स्वर्ण या रजत के रूप में) की सभी शक्तियों का परीक्षण करना चाहिए। यदि परीक्षण में ठीक निकले तो उसको अठारहवीं शुद्धिकरण की प्रक्रिया में लगाना चाहिए। इसके द्वारा पारे में कायाकल्प की योग्यता आ जाती है। इस तरह भारत में धातुओं के भी इलाज की अनेक विधियाँ मौजूद थीं |

भारत में रसायन शास्त्र का इतिहास :

किसी भी देश में किसी ज्ञान विशेष की परंपरा के उद्भव और विकास के अध्ययन के लिए विद्वानों को तीन प्रकार के प्रमाणों पर निर्भर करना पड़ता है-

वहां का प्राचीन साहित्य |
पारंपरिक ज्ञान |
पुरातात्विक प्रमाण।
अतः भारत में रसायनशास्त्र के शुरूआती इतिहास के निर्धारण के लिए विशाल संस्कृत साहित्य को खोजना ही उत्तम जान पड़ता है। उल्लेखनीय है कि भारत में किसी भी प्रकार के ज्ञान के प्राचीनतम स्रोत के रूप में वेदों को माना जाता है। इनमें भी ऐसा समझा जाता है कि ऋग्वेद सर्वाधिक प्राचीन है। अर्वाचीन काल में ईसा की अठारहवीं शताब्दी से नये-नये तत्वों की खोज का सिलसिला प्रारंभ हुआ। इसके पूर्व केवल सात धातुओं का ज्ञान मानवता को था। ये हैं-स्वर्ण, रजत, तांबा, लोहा, टिन, लेड (सीसा) और पारद। इन सभी धातुओं का उल्लेख प्राचीनतम संस्कृत साहित्य में उपलब्ध है, जिनमें ऋग्वेद, यजुर्वेद एवं अथर्ववेद भी सम्मिलित हैं। वेदों की प्राचीनता ईसा से हजारों वर्ष पूर्व निर्धारित की गई है। इस प्रकार वेदों में धातुओं के वर्णन के आधार पर हम भारत में रसायन शास्त्र का प्रारंभ ईसा से हजारों वर्ष पूर्व मान सकते हैं।

इसी तरह वैदिक काल के पश्चात् विश्व प्रसिद्ध चरक एवं सुश्रुत संहिताओं में भी औषधीय प्रयोगों के लिए पारद, जस्ता, तांबा आदि धातुओं एवं उनकी मिश्र धातुओं को शुद्ध रूप में प्राप्त करने तथा सहस्त्रों औषधियों के विरचन में व्यवहृत रासायनिक प्रक्रियाओं यथा-द्रवण, आसवन, उर्ध्वपातन आदि का विस्तृत एवं युक्तियुक्त वर्णन मिलता है। नि:संदेह इस प्रकार के ज्ञानार्जन का प्रारंभ तो निश्चित रूप से इसके बहुत पहले से ही हुआ होगा। उल्लेखनीय है कि इन ग्रंथों के लेखन के पश्चात, यद्यपि इसी काल में (ईसा पूर्व तृतीय शताब्दी) में कौटिल्य (चाणक्य) ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र‘ की रचना की जिसमें धातु, अयस्कों, खनिजों एवं मिश्र धातुओं से संबंधित अत्यंत सटीक जानकारी तथा उनके खनन, विरचन, खानों के प्रबंधन तथा धातुकर्म की आश्चर्यजनक व्याख्या मिलती है। भारत में इस प्रकार के वैज्ञानिक ज्ञान का यह ग्रंथ प्राचीनतम उदाहरण प्रस्तुत करता है। प्रथम सहस्राब्दी की दूसरी शताब्दी से १२वीं शताब्दी तक तो ऐसी पुस्तकों की भरमार देखने को मिलती है जो शुद्ध रूप से केवल रसायन शास्त्र पर आधारित हैं और जिनमें रासायनिक क्रियाओं, प्रक्रियाओं का सांगोपांग वर्णन है। इनमें खनिज, अयस्क, धातुकर्म, मिश्र धातु विरचन, उत्प्रेरक, सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक रसायन तथा उनमें काम आने वाले सैकड़ों उपकरणों आदि का अत्यंत गंभीर विवरण प्राप्त होता है।

भारतीय इस्पात की गुणवत्ता इतनी अधिक थी कि उनसे बनी तलवारों के फारस आदि देशों तक निर्यात किये जाने के ऐतिहासिक प्रमाण मिले हैं।

द्वितीय शताब्दी में नागार्जुन द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘रस रत्नाकार‘ को लें। ऐसा विश्वास किया जाता है कि छठी शताब्दी में जन्मे इसी नाम के एक बौद्ध रसायनज्ञ ने इस पुस्तक का पुनरावलोकन किया। इसीलिए यह पुस्तक दो रूपों में उपलब्ध है। कुछ भी हो, यह पुस्तक अपने में रसायन का तत्कालीन अथाह ज्ञान समेटे हुए हैं। छठी शताब्दी में ही वराहमिहिर ने अपनी ‘वृहत्‌ संहिता‘ में अस्त्र-शस्त्रों को बनाने के लिए अत्यंत उच्च कोटि के इस्पात के निर्माण की विधि का वर्णन किया है। भारतीय इस्पात की गुणवत्ता इतनी अधिक थी कि उनसे बनी तलवारों के फारस आदि देशों तक निर्यात किये जाने के ऐतिहासिक प्रमाण मिले हैं।

ऐसे ही आठवीं शताब्दी से १२वीं शताब्दी के मध्य वाग्भट्ट की अष्टांग हृदय, गोविंद भगवत्पाद की रस हृदयतंत्र एवं रसार्णव, सोमदेव की रसार्णवकल्प एवं रसेंद्र चूणामणि तथा गोपालभट्ट की रसेंद्रसार संग्रह तथा अन्य पुस्तकों में रसकल्प, रसरत्नसमुच्चय, रसजलनिधि, रसप्रकाश सुधाकर, रसेंद्रकल्पद्रुम, रसप्रदीप तथा रसमंगल आदि की रचनाएँ भारत में की गयी |

१८०० में भी भारत में, व्रिटिश दस्तावेजों के अनुसार, विभिन्न धातुओं को प्राप्त करने के लिए लगभग २०,००० भट्ठियां काम करती थीं जिनमें से दस हजार तो केवल लौह निर्माण भट्ठियां थीं और उनमें ८०,००० कर्मी कार्यरत थे। इस्पात उत्पाद की गुणवत्ता तत्कालीन अत्युत्तम समझे जाने वाले स्वीडन के इस्पात से भी अधिक थी। इसके गवाह रहे हैं सागर के तत्कालीन सिक्का निर्माण कारखाने के अंग्रेज प्रबंधक कैप्टन प्रेसग्रेन तथा एक अन्य अंग्रेज मेजर जेम्स फ्रेंकलिन । उसी समय तथा उसके काफी बाद तक लोहे के अतिरिक्त रसायन आधारित कई अन्य वस्तुएं यथा-साबुन, बारूद, नील, स्याही, गंधक, तांबा, जस्ता आदि भी भारतीय तकनीकी से तैयार की जा रही थीं। काफी बाद में अंग्रेजी शासन के दौरान पश्चिमी तकनीकी के आगमन के साथ भारतीय तकनीकी विस्मृत कर दी गई।
अब आप स्वास्थ्य कथा फाउंडेशन के लाइफटाइम मेंबर बनकर हमारे सभी कोर्स फ्री में कर सकते हैं। 8083299134 (दीपक राज मिर्धा) पर सम्पर्क करें।
उपसंहार :

यह सिर्फ चंद उदाहरण हैं जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है की भारत में हजारों वर्षों से रासायनिक विज्ञान की अद्भुत परंपरा रही है | विदेशी आक्रान्ताओं के हमलों तथा गुलामी के दौर में संस्कृत के साहित्य को नष्ट करने के कारण यह परंपरा कम होतो चली गयी | आज जरुरत है आधुनिक विज्ञान के कुछ लोगों को साथ में लेकर संस्कृत के पुराने ग्रंथों का अध्ययन किया जाए तथा उनसे सीखकर भारत की जल-वायु एवं प्रकृति के अनुसार रसायन विज्ञान एवं आयुर्वेद के शोध को बढ़ावा दिया जाए | भारत का बेशकीमती विज्ञान तथा अद्भुत ज्ञान आज संस्कृत तथा भारतीय ग्रंथों की अनदेखी के कारण प्राचीन पुस्तकालयों में धूल खा रहा है | आशा है की भारत सरकार इसकी तरफ ध्यान देगी तथा इसे पुनर्जीवित करने के लिए समिति का गठन करेगी | आज के युग में जितना आधुनिक होना आवश्यक है उतना ही प्राचीन ज्ञान की रक्षा करना भी आवश्यक है क्योंकि जो समाज नवीनीकरण की आंधी में  प्राचीन ज्ञान की रक्षा नहीं करते उन्हें भविष्य में कई साल दोबारा उसी ज्ञान को प्राप्त करने के लिए बर्बाद करने पढ़ते हैं |

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Wednesday 19 September 2018

Tcm diagnosis-10

             TCM​ ​diagnosis​ ​-10
             ‎
                  Urine
 function
- enuresis or incontinence (Kidney deficiency)
- retention of urine (Damp/Heat in Bladder)
- difficulty (Damp/Heat in Bladder, or Kidney deficiency)
- frequent copious (Kidney deficiency)
- frequent scanty (Qi deficiency)
pain
- before urination (Low Jiao Qi stagnation)
- during urination (Bladder Heat)
- after urination (Qi deficiency)
colour
- pale (Bladder or Kidney Cold)
- dark (Heat, or external pathogen has entered deeply)
- turbid or cloudy (Damp in Bladder)
- copious clear pale during exterior attack (pathogen has not entered deeply)
amount
- copious (Kidney Yang deficiency)
- scanty (Kidney Yin deficiency)

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